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वीर पुत्र

#वीर-पुत्र
है हिम्मत तुम में तुम सूर्य पुत्र,
चल दो चल दो तुम वीर पुत्र।
रख कर मन मे तुम धीर पुत्र,
बढ़ लड़ो सदा बलवीर पुत्र।।

तुम हो यशस्वी जगभर्ता तुम,
तुम दिनकर अटल  अमरता तुम।
तमनाशक दिव्य ज्योत तुम हो  ,
अभिलाषा   प्रखर स्रोत तुम हो ।।

तुम दिनमानो के वंशज हो ,
सत कोटि सूर्य के अंशज हो।
क्यों डरते इन अंधियारों से,
भय के उन पहरे दारों से।।

तुम हो अविचल पावन पतंग,
चेतक जैसे अद्भुत कुरंग।
तुम प्रभा युक्त शमशीर पुत्र,
चल दो चल दो हे वीर पुत्र।।


जग की निर्बलता हर लो तुम,
मन सहज सरलता धर लो तुम।
भुज बल से यशस्वी आप बनो,
शत्रु खातिर तुम ताप बनो।।

जब निर्बल का ग़म हर लोगे,
निर्धनता का तम हर लोगे।
हर जन का मन सच्चा होगा,
न दुखी कोई अच्छा होगा।।

तुम को जन पोषक बनना है,
विपदा का शोषक बनना है।
निज काम छोड क्यों सोते हो,
क्यों व्यथा भाग्य पर रोते हो।।
 
हां माना अभी विफलता है,
न ज्यादा दूर सफलता है।
वह भी अनुपम क्षण आयेगा,
जब भाग्य से ज्यादा पायेगा।।

उसके खातिर लड़ना होगा,
तम चीर तुझे बढ़ना होगा।
मन रख लो थोड़ा धीर पुत्र,
चल दो चल दो हे वीर पुत्र।।।

लेखक -- अरुण कुमार शुक्ल

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8 Comments

Mithi . S

26-Aug-2022 12:53 PM

Very nice

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shweta soni

26-Aug-2022 11:59 AM

Nice 👍

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